'शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है', यूएन में भारत ने महिलाओं को लेकर कही ये बात
समानता के संवैधानिक सिद्धांत की बात करते हुए भारत ने मंगलवार को बैंकाक में यूएन मिस्टरल कांफ्रेंस ऑन वेमेन एम्पारमेंट में जारी बयान में कहा कि भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है। इतना ही नहीं विश्व स्तर पर देखा जाए तो एसटीइएम (साइंसटेक्नालाजी इंजीनियरिंग और गणित) विषयों में महिलाओं का अनुपात भारत में सबसे अधिक है।
शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है- यूएन में भारत (फोटो- एक्स)
समानता के संवैधानिक सिद्धांत की बात करते हुए भारत ने मंगलवार को बैंकाक में यूएन मिस्टरल कांफ्रेंस आन वेमेन एम्पारमेंट में जारी बयान में कहा कि भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है। इतना ही नहीं विश्व स्तर पर देखा जाए तो एसटीइएम (साइंस,टेक्नालाजी, इंजीनियरिंग और गणित) विषयों में महिलाओं का अनुपात भारत में सबसे अधिक है।
महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तीकरण की दिशा में किये गए उपायों के सकारात्मक नतीजों का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि गैर पारंपारिक सेक्टरों में महिला कार्यबल बढ़ाने, लैंगिक वेतन अंतर, लैंगिक डिजिटल विभाजन खतम करना प्राथमिकता है।
जेंडर एक्वेलिटी की प्रतिबद्धता पर भारत ने कही ये बात
भारत की ओर से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रीतम बी. यशवंत ने लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने और जेंडर एक्वेलिटी की प्रतिबद्धता के बीजिंग घोषणा समीक्षा प्रक्रिया में भारत का कंट्री स्टेटमेंट पेश किया। भारत की ओर से रखे गए स्टेटमेंट में कहा गया कि बीजिंग घोषणापत्र और प्लेटफार्म फार एक्शन का कार्यान्वयन हमारे संवैधानिक रूप से निर्धारित समानता के सिद्धांत से प्रेरित है।
महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दृष्टि से प्रेरित भारत ने शासन में एक अच्छा बदलाव देखा ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि महिलाएं विकास पथ को आकार देने वाले उपायों की अवधारणा , डिजाइन और निगरानी में नेतृत्व करें। भारत की बीजिंग प्लस 30 रिपोर्ट में परिलक्षित पिछले पांच वर्षों की प्रगति बताते हुए कहा कि शिक्षा में लैंगिक असमानता को कम करने के क्षेत्रीय रुझानों के अनुरूप भारत ने शिक्षा में सभी स्तरों पर समानता हासिल कर ली है।
महिलाओं की आर्थिक सक्षमता बढ़ने और स्वयं सहायता समूह को परिवतर्न का वाहक बताते हुए कहा कि भारत में आज 100 मिलियन महिलाएं आर्थिक रूप से ग्रामीण परिदृश्य बदल रही हैं और जमीनी स्तर पर बेहतर नेतृत्व कर रही हैं। दुनिया के सबसे बड़े फाइनेंशियल इन्कूजन कार्यक्रम के तहत भारत में आज 300 मिलियन से अधिक महिलाओं के बैंक खाते हैं। लिंग आधारित समानता की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि ये बात लैंगिक बजट में 218 फीसद की दशकीय वृद्धि से प्रमाणित होती है, जिसमें चालू वर्ष का आवंटन 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
भारत ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था के हमारे दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए , प्रमुख प्राथमिकताओं में गैर पारंपरिक क्षेत्रों सहित, कार्यबल में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाना है। इसके लिए जेंडर जस्ट सोसाइटी का अनुकूल माहौल तैयार करना, महिलाओं की सुरक्षा, के साथ महिलाओं को राजनैतिक रूप से सक्षम बनाने पर जोर है। इसके अलावा लैंगिक वेतन अंतर, लैंगिक डिजिटल विभाजन खतम करना प्राथमिकता है।
आर्थिक सशक्तीकरण को सक्षम करें
भारत ने महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। स्वच्छ ईंधन, नल से जल और शौचालयों के निर्माण जैसे समाधानों से लैंगिक गरीबी के अंतर को कम करने से लेकर भारत ने बड़े पैमाने पर ऐसी नीतियां बनाई हैं जो महिलाओं के कठिन परिश्रम को कम करती हैं, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं और उनके आर्थिक सशक्तीकरण को सक्षम करें।
भारत यूएन वोमेन के लिंग आधारित समानता का संसार बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों का समर्थन करता है और अपनी प्रतिबद्धता जताता है। मंगलवार को भारतीय डेलीगेशन ने साइड इवेंट प्रेजेन्टेशन भी दिया जिसमे वोमेन लेड डेवलेपमेंट के दृष्टिकोण से किये जा रहे प्रयासों को बताया गया इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रीतम यशवंत के अलावा निदेशक दया शंकर व पंचायती राज मंत्रालय के अधिकारी निवेदिता ने भाग लिया।
महिलाओं के राजनैतिक रूप से सक्षम होने और राजनैतिक भागेदारी बढ़ने का प्रमाण दिया गुजरात की वडोदरा की ब्लॉक प्रमुख अंकिता रौनक परमार ने। निदेशक दया शंकर ने लिंग आधारित समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किये गए कामों की चर्चा करते हुए कहा कि हम नया भारत, विकसित भारत के लिए तैयार हैं।
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