भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि । डिप्रेशन से ग्रस्त एक डीएसपी ने आत्महत्या करने गोलियां गटक ली। एक रिटायर्ड बैंक मैंनेजर ने तो गले में फांसी का फंदा डालकर लटने की कोशिश की। गनीमत रही कि दोनों को परिवार की सूझबूझ के चलते तुरंत इलाज मिल गया और वे बचे गए। अब दोनों ही दूसरों को जीने की सीख दे रहे हैं। खास बात यह है कि डिप्रेशन में आकर आत्महत्या करने की कोशिश करने वाले ये दो ही मामले नहीं है, बल्कि प्रदेश में रोजाना दर्जनों लोग ऐसा करते हैं। इनमें से जिन्हें समय पर इलाज मिल रहा है उनका जीवन डिप्रेशन से उभर गया है। वे अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं। उनका परिवार खुश है। मनो चिकित्सकों का कहना है कि डिप्रेशन एक बीमारी है। इससे पीड़ित को समय पर इलाज नहीं मिला तो वह आत्महत्या करने की कोशिश करता है, कई लोग ऐसा कर चुके है। लेकिन जिन्हें इलाज मिला है वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
हमीदिया अस्पताल के मनो रोग विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉ. आरएन साहू ने बताया कि बीते पांच साल डिप्रेशन जैसे लक्षणों से पीड़ित 1 हजार से अधिक मरीजों का पंजीयन किया है। ये इलाज कराने अस्पताल पहुंचे थे। जिन्हें इलाज मिला वे स्वस्थ्य हैं। इनमें से दर्जनों मरीज आत्महत्या की कोशिश करने के बाद अस्पताल पहुंचे थे। जैसे कि किसी ने जहर खा लिया, किसी ने फांसी लगाने की कोशिश की। ऐसे मरीज डिप्रेशन से पीड़ित थे। डॉ. साहू का कहना है कि डिप्रेशन की वजह शरीर में कैमिकल असंतुलन समेत कई कारण जिम्मेदार होते हैं। इसकी वजह लंबे समय से तनाव में होना है। कई बार यह असंतुलन स्वतः भी उत्पन्न हो जाता है।
डिप्रेशन की पहचान ऐसे करें -
डिप्रेशन से पीड़ित को ठीक से नींद नहीं आती। नींद में परेशानी होती है। आत्मविश्वास का कम होना, मन उदास रहना, लगातार चिड़िचिड़ापन का बना रहना, काम में मन नहीं लगना है। डिप्रेशन से पीड़ित खुद को कमजोर आंकने लगते हैं। उनमें हिन भावना का होना, खुद की क्षमता को कम आंकना, हमेशा नकारात्मक सोच का पैदा होना व विपरित स्थिति में घबराना जाना डिप्रेशन के लक्षण होते हैं।
हमीदिया अस्पताल के मनो रोग विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉ. आरएन साहू ने बताया कि बीते पांच साल डिप्रेशन जैसे लक्षणों से पीड़ित 1 हजार से अधिक मरीजों का पंजीयन किया है। ये इलाज कराने अस्पताल पहुंचे थे। जिन्हें इलाज मिला वे स्वस्थ्य हैं। इनमें से दर्जनों मरीज आत्महत्या की कोशिश करने के बाद अस्पताल पहुंचे थे। जैसे कि किसी ने जहर खा लिया, किसी ने फांसी लगाने की कोशिश की। ऐसे मरीज डिप्रेशन से पीड़ित थे। डॉ. साहू का कहना है कि डिप्रेशन की वजह शरीर में कैमिकल असंतुलन समेत कई कारण जिम्मेदार होते हैं। इसकी वजह लंबे समय से तनाव में होना है। कई बार यह असंतुलन स्वतः भी उत्पन्न हो जाता है।
- पुलिस विभाग में तैनात एक डीएसपी डिप्रेशन में थे। एक दिन उन्होंने गोलियां खाकर जान देने की कोशिश की। परिवार के सदस्य डीएसपी को अर्द्घबेहोशी की हालत में मनो चिकित्सक डॉ. प्रीतेश गौतम के पास लेकर पहुंचे। डॉ. गौतम बताते हैं कि गनीमत है कि डीएसपी ने कम गोलियां खाई थी इसलिए उन्हें बचा लिया गया। अब वे शान से नौकरी कर रहे हैं। दूसरो को डिप्रेशन से आगे बढ़कर जीने की सलाह देते हैं।
- जबलपुर के एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर ने गले में फांसी का फंदा लगा लिया। गनीमत रही कि उन्हें परिवार के सदस्यों ने देख लिया। उनका इलाज बंसल अस्पताल के मनो चिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने किया। बैंक मैनेजर डिप्रेशन से ग्रस्त थे। डॉ. त्रिवेदी बताते हैं कि आज बैंक मैनेजर स्वस्थ्य हैं और दूसरों को डिप्रेशन से उभरने के डिप्स देते हैं।
डिप्रेशन की पहचान ऐसे करें -
डिप्रेशन से पीड़ित को ठीक से नींद नहीं आती। नींद में परेशानी होती है। आत्मविश्वास का कम होना, मन उदास रहना, लगातार चिड़िचिड़ापन का बना रहना, काम में मन नहीं लगना है। डिप्रेशन से पीड़ित खुद को कमजोर आंकने लगते हैं। उनमें हिन भावना का होना, खुद की क्षमता को कम आंकना, हमेशा नकारात्मक सोच का पैदा होना व विपरित स्थिति में घबराना जाना डिप्रेशन के लक्षण होते हैं।
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